ब्रह्माण्ड (UNIVERSE) क्या है ? आकाशगंगा, लाल दानव, निहारिका, मन्दाकिनी और तारा मंडल

ब्रह्मांड (UNIVERSE)

Table of Contents

 

  • ब्रह्मांड का अध्ययन ब्रह्मांड विज्ञान (COSMOLOGY) कहलाता  है।
  •  आकाशगंगा, तारों, ग्रहों, उपग्रहों तथा उल्कापिंड आदि को ब्रह्मांड में शामिल किया जाता है
  • आइंस्टीन के सापेक्षता के विशिष्ट सिद्धांत के अनुसार समस्त स्थान एवं समय गुरुत्व के कारण एक अंतहीन चक्र के रूप में आबाद है क्योंकि ब्रह्मांड का ना तो कोई केंद्र है ना ही कोई आरंभिक किनारा।

ब्रह्मांड की उत्पत्ति

इस संदर्भ में तीन सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है

  1. सतत सृष्टि सिद्धांत :-  थॉमस गोल्ड एवं हरमन बौंडी द्वारा
  2. संकुचन विमोचन सिद्धांत/दोलन सिद्धांत :-   डॉक्टर एलेन सांडेज 
  3. महा विस्फोट सिद्धांत :-  ऐब जॉर्ज लेमैत्रे

महा विस्फोट सिद्धांत ( BIG BANG THEORY)

:- इस सिद्धांत के अनुसार 15 अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांडीय पदार्थ अत्यंत सघन पिंड के रूप में था विस्फोट के पश्चात ब्रह्मांडी पदार्थ चारों ओर फैल गए और यही पदार्थ बाद में गैलेक्सी/आकाशगंगा  के रूप में हमें दिखाई देता है

  • आज करोड़ों वर्ष बाद भी ब्रह्मांड फैल रहा है लेकिन एक स्थान पर स्थिर है जिससे अनेक पिंड गुरुत्व द्वारा आपस में स्थिर अवस्था में है।
  • खगोल वैज्ञानिक अभी तक या नहीं जान सके हैं कि ब्रह्मांड बंद है या खुली है
  • ब्रह्मांड का फैलाव होता रहेगा या बंद हो जाएगा, इसका पता अभी तक नहीं चला है।

आकाशगंगा (GALAXY)

  • यह तारों, निहारिकाओं, और अंतर् तारकीय पदार्थों का एक विशाल समूह होता है।
  • एक आकाशगंगा में करोड़ों तारों का परिवार होता है जो गुरुत्व के कारण आपस में एक दूसरे को रोके रखता है।
  • आकाशगंगा में गैस और धूलकणों की भी उपस्थिति होती है।

आकाशगंगा के प्रकार

  1. सर्किल आकाशगंगा
  2. दीर्घ वृत्ताकार आकाशगंगा
  3. अव्यवस्थित आकाशगंगा

मंदाकिनी/दुग्ध मेखला / MILKY-WAY

  • हम लोग जिस आकाशगंगा में रहते हैं उसे मंदाकिनी कहते हैं अन्य नाम दुग्ध मेखला या मिल्की वे है।
  • इसकी आकृति सर्पिलाकार है जिसकी तीन भुजाएं हैं।
  • मंदाकिनी का व्यास 100000 प्रकाश वर्ष है
  • सूर्य आकाशगंगा के दूसरी भुजा पर अवस्थित है।
  • सूर्य आकाशगंगा का एक चक्कर लगभग 2250 लाख वर्षों में लगाता है
  • निकटतम आकाशगंगा देवयानी है जो 20 लाख प्रकाश वर्ष दूर है
  • नवीनतम आकाशगंगा ड्वार्फ है।

निहारिका (NEBULAE) :-   तारों का निर्माण निहारिका से ही होता है जो धूल और गैर के मेघ होते हैं।

तारा (STAR) :-   इसका निर्माण निहारिकाओं से होता है।

  • यह आकार में सूर्य के व्यास से 450 गुना छोटे से 1000 गुना बड़े तक होते हैं
  • इसका द्रव्यमान  सूर्य के द्रव्यमान से 1/20 से 50 गुना तक होता है
  • तापमान 3000 डिग्री सेल्सियस से 50000 डिग्री सेल्सियस तक होता है
  • तारों का रंग उसके तापमान पर निर्भर करता है। जो उनकी आयु को दर्शाता है, जो तारा जितना चमकीला होता है उसकी आयु उतना ही कम होता है।
  • तारों में उपस्थित गैस हाइड्रोजन 71%, हिलियम 26.5% और अन्य तत्व 2.5% होता है।
  • तारों में हाइड्रोजन का हिलियम में संलयन की प्रक्रिया होती है।

क्वासर्स ( QUASARS) :-  ब्रह्मांड में बिखरे अर्धतरीय पदार्थ जिनसे रेडियो तरंगे निकलती है

लाल दानव (RED GIANTS) :-  जब किसी तारे में हाइड्रोजन घटने लगती है तो उनमें लालिमा दिखने लगती है यह अपने  मृत्यु के नजदीक होते हैं।

वामन तारे (Dwarf Stars) :-   जिन तारों का प्रकाश सूर्य के प्रकाश से कम होता है वामन तारा कहलाता है।

नोवा ( NOVA ) :- कभी-कभी धुंधला तारा अत्यधिक चमक के साथ दिखाई देता है तथा बाद में अपने मूल स्तर पर वापस आ जाता है इस प्रकार के तारों को नोवा कहते हैं।

सुपरनोवा ( SUPERNOVA ) :- 20 से अधिक मेग्नीट्यूड वाले तारे होते है। 

कृष्ण विवर (BLACK HOLE ) :-  अमेरिकी भौतिक शास्त्री जॉन व्हीलर के द्वारा 1967 में सर्वप्रथम ब्लैक होल शब्द का प्रयोग किया गया।

सूर्य के द्रव्यमान से 3 गुना अधिक द्रव्यमान वाले तारे का जब अंत होता है तो यह इतना सघन हो जाता है कि प्रकाश भी इसके गुरुत्व से निकल नहीं पाता है और इस प्रकार यह  अंधकारमय क्षेत्र हो जाता है और इसको देखा नहीं जा सकता है, ब्लैक हॉल कहलाता है।

न्यूट्रॉन Star :- सुपरनोवा विस्फोट के बाद बिखरे न्यूट्रॉन युक्त तारीय पदार्थ न्यूट्रॉन तारा कहलाता है

पल्सर ( PULSAR ) :-  घूमते हुए न्यूट्रॉन तारा को पलसर करते हैं, जिससे विद्युत चुम्बकीय तरेंगे छोड़ते है। 

तारा का जीवन चक्र 

  • इसका निर्माण निहारिका से होता है।
  • एक तारे के निर्माण में गुरुत्वाकर्षण बल से गैस एवं धूल के बादलों का गोले के आकार में संगठन, गति, उच्च ताप, एवं संलयन अभिक्रिया के द्वारा होता है।
  • इसका प्रथम अवस्था प्रोटोस्टार है।
  • किसी तारे की जीवन अवधि उसके आकार पर निर्भर करती है
  • जो तारे जितने बड़े होंगे उनकी जीवनकाल उतनी कम होगी।
  • सूर्य के आकार के तारे की जीवनकाल 10 बिलियन वर्ष होती है
  • वृद्धावस्था में तारे की बाहरी सतह फैलती है और वह ठंडा होता है साथ ही चमक कम हो जाती है इस स्थिति को लाल दानव या सुपर लाल दानव कहते हैं।
  • विस्फोट के पश्चात तारा अपने आकार के अनुसार मृत्यु के 3 दशाओं में परिवर्तित हो जाता है।
  1. सूर्य के समान छोटे तारा :-     इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के 1.44 गुना की सीमा के अंदर होता है  जहां विस्फोट के बाद पहले श्वेत वामन  और अंत में कृष्ण वामन  के रूप में मृत्यु की अंतिम अवस्था में पहुंच जाती है।
  2. मध्यम आकार के तारे :-  इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान की 1.44 गुना से 3 गुना तक होता है विस्फोट के बाद न्यूट्रॉन तारे के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं।
  3. बड़े आकार के तारे :-  सूर्य के द्रव्यमान से 3 गुना से अधिक होता है यह ब्लैक हॉल में परिवर्तित हो जाते हैं। 

चंद्रशेखर सीमा :- भारतीय वैज्ञानिक सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने 1930 में या सीमा निर्धारित किया था 1.44 सौर्यिक दर्व्यमान को चंद्रशेखर सीमा कहते हैं। इससे कम द्रव्यमान वाले तारे श्वेत वामन बनते हैं तथा अधिक अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन तारे  या ब्लैक होल के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं ।

तारामंडल

  • तारों का समूह की एक विशेष आकृति होती है।
  • इंटरनेशनल एस्टॉनोमिकल यूनियन के अनुसार आकाश में कुल 88 तारामंडल है।
  • इनमें से अधिकांश को दक्षिणी गोलार्ध से देखा जा सकता है।
  • सप्त ऋषि तारामंडल की आकृति भालू से मिलती है

 

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